श्रमिक ट्रेनों में अबतक 80 लोगों की मौत, प्रवासी मजदूरों की समस्याएं नहीं हुई खत्म


अमर हिंदुस्तान ब्यूरो। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जब दूसरे चरण का लॉकडाउन समाप्त हुआ था तब भी प्रवासी मजदूर देश के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी संख्या में फंसे रहे। इस मुद्दे को लेकर जब सरकार की मंशा पर सवाल उठने लगे और दबाव बनने लगा तो रेल मंत्रालय ने प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने का फैसला किया। लेकिन इन ट्रेनों को चलाए जाने के बाद भी प्रवासी मजदूरों की समस्याएं खत्म नहीं हुई हैं। श्रमिक ट्रेनों में अबतक 80 लोगों की मौत हो चुकी है। ये मौतें 9 मई से 27 मई के बीच हुईं।



  • प्रवासी मजदूरों की समस्याएं अब भी खत्म नहीं हुई हैं.

  • श्रमिक ट्रेनों में अबतक 80 लोगों की मौत हो चुकी है.

  • ये मौतें 9 मई से 27 मई के बीच हुईं हैं.


इससे पहले शुक्रवार को रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में हो रही देरी को लेकर खुद का बचाव करते हुए कहा कि वे नियमित ट्रेनें नहीं थी व प्रवासी श्रमिकों के लाभ के लिए उनका मार्ग बढ़ाया जा सकता है, घटाया जा सकता है और उनके ठहराव तथा मार्ग


बदले जा सकते हैं। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने कहा कि कभी कोई ट्रेन ‘गुम’ नहीं हो सकती तथा एक मई से जब से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलने लगी हैं, तब से अब तक कुल 3,840 ऐसी ट्रेनों में केवल चार ट्रेनों ने ही अपने गंतव्य पर पहुंचने में 72 घंटे से अधिक समय लिया।


यादव ने बार बार कहा कि ये असाधारण वक्त था। उन्होंने देरी की शिकार हुई ट्रेनों को लेकर की जा रही आलोचना के संदर्भ में रेलवे का बचाव किया और कहा कि यात्रियों को भोजन के 85 लाख पैकेट और पानी की सवा करोड़ बोतलें दी गयीं। उन्होंने कहा कि खास शिकायतों की जांच की गयी है और भोजन की आपूर्ति में कोई विसंगति नहीं पायी गई।


उन्होंने कहा, ‘कोरोना वायरस के चलते कई अनुबंधकर्ता भोजन वितरण के लिए ट्रेनों में सवार नहीं होना चाहते थे। हम शुरू में उन्हें प्रवासियों की खातिर पैकेट देते थे। लेकिन अब हमारे कर्मचारी ट्रेनों में चढ़ने और भोजन का वितरण करने के लिए मास्क और दस्तानों का इस्तेमाल कर रहे हैं।’


यादव ने दृढता के साथ कहा, ‘इसलिए 3840 ट्रेनों में से महज एक या दो फीसद ट्रेनों में ये घटनाएं हुई । 98-99 फीसद मामलों में चीजें सुचारू रहीं।’ उन्होंने यह भी कहा कि रेलवे उन लोगों की सूची तैयार कर रहा है जिन्होंने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में जान गंवाई। उन्होंने साथ ही पहले से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों से अनावश्यक यात्रा से बचने की अपील की।